Aligarh

जिला प्रशासन की सख्ती का असर- कहीं रोका गया कंबाइन तो कहीं किसानों को किया गया जागरूक

गॉव में चौपाल लगाने के साथ ही खेत-खलिहानों तक पहुॅच रहे अधिकारी

संवाददाता अलीगढ़ : जिले में पराली न जलाने को लेकर जिला प्रशासन के प्रयासों का असर धरातल पर देखने को मिल रहा है। जिलास्तरीय अधिकारी हों या फिर तहसील व ब्लॉक स्तरीय अधिकारी-कर्मचारी, गुरूवार को सभी ने गॉव-देहात ही क्या खेत-खलिहानों तक पहुॅच बनाते हुए किसानों से संवाद किया और उन्हें पराली न जलाए जाने के प्रति जागरूक किया।

खण्ड विकास अधिकारी टप्पल अरविंद त्यागी ने जहानगढ़ एवं कसेरा में किसानों से संवाद करते हुए पराली जलाने से होने वाले दुष्परिणामों एवं पराली के सदुपयोग के बारे में जागरूक किया। उन्होंने हस्तपुर में स्ट्रारीपर न होने के कारण कंबाइन हार्वेस्टर मशीन को नहीं चलने दिया। उन्होंने चालक को निर्देशित किया कि स्ट्रारीपर लगाकर ही मशीन का संचालन सुनिश्चित किया जाए। बीडीओ अतरौली वेदप्रकाश ने ग्राम पंचायत जिरौली धूमसिंह में चौपाल लगाकर ग्रामीणों को पराली जलाने से होने वाली पर्यावरणीय हानियों के बारे में समझाया।

बीडीओ इगलास दीपक कुमार ने ग्राम पंचायत रजावल, लोहागढ़ एवं ककेथल में अन्नदाताओं को समझाया कि पराली को पशुओं के चारे के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। बीडीओ बिजौली स्मृति अवस्थी, बीडीओ जवां रूपेश कुमार ने पराली के उचित प्रबंधन से होने वाले लाभ के बारे में लोगों को समझाया। उन्होंने यह भी बताया कि पराली जलाए जाने पर दोषी को जुर्माना का भी सामना करना पड़ सकता है। संयुक्त खण्ड विकास अधिकारी अकराबाद नीरज शर्मा ने भीमपुर, हरिपुर में किसानों को बताया कि वह पराली गौशालाओं में दान देकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

बीडीओ चण्डौस राहुल वार्मा ने ताजपुर एवं भोगपुर में खेतों में जाकर धान की झड़ाई कर रहे किसानों को समझाया कि वह पराली या फिर किसी प्रकार का कृषि अपशिष्ट न जलाएं, इसे खेतों में सड़ा-गला कर अच्छा फसलोत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार से अन्य बीडीओ एवं ज्वाइंट बीडीओ, एडीओ एवं कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी खेत-खलिहानों में पहुॅचकर लगातार किसानों को जागरूक कर रहे हैं।

जिले को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए जिला प्रशासन हरसंभव प्रयास कर रहा है। जिलास्तर से अधिकारियों की छापामार टीमों का भी गठन किया गया है, जो निरंतर क्षेत्र में भ्रमणशील रहकर पराली जलाने वालों पर जुर्माना भी लगा रही हैं। इसके साथ ही उनके द्वारा यह भी समझाया जा रहा है कि पराली का उचित प्रबंधन कर खेतों में फसलोत्पादन को कैसे बढ़ा सकते हैं।

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