रचना
“जिंदगी”
कभी -कभी ये कितनी
उदास है जिन्दगी
जो कभी बुझ न सकेगी वो प्यास है जिन्दगी …
कभी मिलती हैं मुझे प्यार की इतनी खुशियां, कि लगे फूलों सा महकता बाग है जिन्दगी…
किया है अनुभव मैने मीठे कडुवे रिश्तों का, ना जाने कौन सा ऐसा स्वाद है जिन्दगी….
कभी हंसने का मन करे तो कभी रोने का, न जाने कौन से सुरों का राग है जिन्दगी….
मगर आखिरी में अपने किए कर्मो का, एक एक पल का कराती हिसाब है जिन्दगी….
रजनी त्रिपाठी
कानपुर उत्तर प्रदेश
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